प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है।
नये परिदों को उडने में वक्त तो लगता है।
जिस्म की बात नहीं थी उनके दिल तक जाना था ।
लम्बी दूरी तय करने में वक्त तो लगता है।
प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है।
गाठं अगर लग जाय तो फ़िर रिशते हो या दूरी
लाख करे कोशिश खुलने में वक्त तो लगता है।
प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है।
नये परिदों को उडने में वक्त तो लगता है।
हमने इलाजे जख्में दिल में ढूंढ लिया लेकिन
गहरे जख्मों को भरने मे वक्त तो लगता है।
प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है।
नये परिदों को उडने में वक्त तो लगता है।
प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है
4 09 2006टिप्पणियाँ : Leave a Comment »
श्रेणी : जगजीत सिहं
कही दूर जब दिन ढल जाये
17 08 2006आज सुबह यह वीडियो यू-टयूब पर अपलोड किया, यह शायद मेरा आखिरी विडियो होगा जिसको अपलोड किया है, कारण इस अपलोडिग मे करीब 2 घटे लग गये ,जब कि वीडियो मात्र 10 मि का होगा। आप भी देखो और मजा लो।
jagjit singh singing Mukesh song
Tags: jagjit-gazals
Added: August 16, 2006, 05:38 PM From drprabhatlkw
Recorded: 2006-08-17
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श्रेणी : जगजीत सिहं
तुम हमारे नहीं तो क्या गम है
6 08 2006तुम हमारे नहीं तो क्या गम है
हम तुम्हारे तो हैं यह क्या कम है
मुस्करा दो जरा खुदा के लिये
शमे महफ़िल मे रोशनी कम है
तुम हमारे नही तो क्या गम है
हम तुम्हारे तो है यह क्या कम है
बन गया है यह जिन्दगी अब तो
तुझ से बढ कर हमे तेरा गम है
तुम हमारे नही तो क्या गम है
हम तुम्हारे तो है यह क्या कम है
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श्रेणी : जगजीत सिहं
तेरी बेरूखी तेरी मेहरबानी
3 08 2006तेरी बेरूखी तेरी मेहरबानी
यही मौत है और यही जिन्दगानी
लबो पर तबस्सुम और आखों में पानी
यही है यही दिलजलो की निशानी
तेरी बेरूखी तेरी मेहरबानी
यही मौत है और यही जिन्दगनी
बताऊं है क्या आंसूओ की हकीकत
जो समझो तो सबकुछ न समझो तो पानी
तेरी बेरूखी तेरी मेहरबानी
यही मौत है और यही जिन्दगानी।
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श्रेणी : जगजीत सिहं
कभी खामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे
1 08 2006कभी खामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे
कभी खामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे ,मै उतना याद आऊंगा मुझे जितना भूलाओगे
कभी खामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे
कोई जब पूछ बैठेगा खामोशी का सबब तुमसे
कोई जब पूछ बैठेगा खामोशी का सबब तुमसे ,बहुत समझाना चाहोगे मगर समझा ना पाओगे
मै उतना याद आऊंगा मुझे जितना भूलाओगे
कभी खामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे
कभी दुनिया मुकम्मल बन आएगी निगाहो मे
कभी दुनिया मुकम्मल बन आएगी निगाहो मे , कभी मेरी कमी दुनिया की हर एक शह् बेमानी है
मै उतना याद आऊंगा मुझे जितना भूलाओगे
कही पर भी रहे हम तो मुहब्बत फिर मुहब्बत है
कही पर भी रहे हम तो मुहब्बत फिर मुहब्बत है ,तूम्हे हम याद आएगे हमे तुम याद आओगे
तूम्हे हम याद आएगे हमे तुम याद आओगे -2
कभी खामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे
मै उतना याद आऊंगा मुझे जितना भूलाओगे
कभी खामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे
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श्रेणी : जगजीत सिहं
बात निकलेगी तो दूर तलक जायेगी
31 07 2006बात निक्लेगी तो दूर तलक जायेगी
लोग बेवजह उदासी का सबब पूछेगें
यह भी पूछेगें कि तुम इतनी परेशान क्यूं हो
उगलियां उठेगी सूखे हुये बालों की तरफ़
एक नजर देखगे गुजरे हुये सालो की तरफ़
चूडियों पर भी कई तज किये जायेगे
कापते हाथो पे भी फ़िकरे कसे जायेगे
लोग जालिम हैं हर बात का ताना देगें
बातो बातो में मेरा जिक्र भी ले आयेगें
उनकी बातो का जरा सा भी असार मत लेना
वरना चेहारे के तासुवर से समझ जायेगें
चाहे कुछ भी हो सवालात न करना उनसे
मेरे बारे मे कोई बात न करना उनसे
बात निकलेगी तो दूर तलक जायेगी।
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श्रेणी : जगजीत सिहं
वो कौन है दुनियाँ मे जिसे गम नही होता
31 07 2006वो कौन है दुनियाँ मे जिसे गम नही होता
किस घर मे खुशी होती है मातम नही होता
वो कौन है दुनिया मे जिसे गम नही होता
ऐसे भी है दुनिया में जिन्हें गम नही होता
एक गम है हमारा जो कभी कम नही होता
वो कौन है दुनिया में जिसे गम नही होता
क्या सूरमाँ भरी आंखो से आसूँ नही गिरते
क्या मेहँदी लगी हाथों से मातम नही होता
वो कौन है दुनिया में जिसे गम नही होता
किस घर में खुशी होती है मातम नही होता
वो कौन है दुनिया में जिसे गम नही होता
कुछ और ही होती है बिगडनें के अदायेँ
बनने मे सवँरने में आलम नही होता
वो कौन है दुनिया में जिसे गम नही होता
किस घर में खुशी होती है मातम नही होता
वो कौन है दुनिया में जिसे गम नही होता
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श्रेणी : जगजीत सिहं
उसकी बातें तो फ़ूल हो जैसे
26 07 2006उसकी बातें तो फ़ूल हो जैसे
बाकी बाते बबूल हो जैसे
उसकी बातें तो फ़ूल हो जैसे
उसका हंसकर नजर झुका लेना
सारी शर्तें कबूल हो जैसे
कितनी दिलकश है उसकी खामोशी
सारी बाते फ़िजूल हो जैसे
उसकी बातें तो फ़ूल हो जैसे
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श्रेणी : जगजीत सिहं
मैनें दिल से कहा ऐ दीवाने बता
25 07 2006मैनें दिल से कहा ऐ दीवाने बता
जब से कोई मिला तू है खोया हुआ
ये कहानी है क्या ,है यह क्या सिलसिला
ऐ दीवाने बता
मैने दिल से कहा ऐ दीवाने बता
धडकनों में छिपी कैसी आवाज है
कैसा यह गीत है,कैसा यह साज है,
कैसी यह रात है,कैसा यह राज है
ऐ दीवाने बता
मेरे दिल ने कहा जबसे कोई मिला
चांद तारे फ़िजा फ़ूल भवरें वफ़ा
यह हसीन वादियां,नीला यह आसमान
सब है जैसे नया मेरे दिल ने कहा
मैनें दिल से कहा मुझको यह तो बता
जो है तुझको मिला उसमे क्या बात है
क्या है जादूगरी, कौन है वह परी
ऐ दीवाने बता
मेरे दिल ने कहा
न वह कोई परी, न कोई महजबी
न वह दुनिया में सबसे ज्यादा हसीन
सीधी-साधी सी है,भोली-भाली सी है
लेकिन उसमें अदा एक निराली सी है
उसके बिन मेरा जीना बेकार है
मैनें दिल से कहा बात इतनी सी है
कि मुझे प्यार है
मेरे दिल ने कहा मुझको इकरार है
हां मुझे प्यार है
हां मुझे प्यार है
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